Energy Scanning
अदृश्य उर्जा शरीर
भौतिक शरीर के आसपास कुछ अदृश्य ऊर्जा परते हैं। इन अदृश्य परतों में विद्युत चुंबकीय व गर्म ऊर्जा शिट शामिल है। इन अदृश्य परतों को नाम दिया गया है, ईथरिक शरीर या ओरा। वैज्ञानिकों ने डिजिटल एनर्जी स्कैनिंग द्वारा ईथरिक शरीर की फोटोग्राफी संभव की है । साइंटिस्ट साइमन कार्लीयन ने एक उच्च विद्युत शक्ति के कैमरे की मदद से इन ईथरिक परतो की फोटो लेकर शरीर की ऊर्जा की जानकारी प्राप्त करना शुरू की जिससे किरलियान फोटोग्राफी के नाम से जाना जाता है। रूस के वैज्ञानिक डॉ करतकोव ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए जी डी वी तकनीक का आविष्कार किया। तत्पश्चात लंदन के डॉक्टर थोर्नटन स्ट्रीटटर ने पी आई पी तकनीक अविष्कार किया।
बीसवीं सदी के अंत में ब्राजील के प्रोफेसर लुईस रोष ने अत्याधुनिक तकनीक एनर्जी स्कैनिंग डिवाइस तैयार किया। इस तकनीक में ईथरिक शरीर में आए परिवर्तनों की जांच से बीमारियों का पता लगाया जाता है ताकि भौतिक शरीर में रोग होने के पूर्व ही समाप्त किए जा सके।
एनर्जी स्कैनिंग पद्धति क्या है?
एनर्जी स्कैनिंग पद्धति में पर्यावरण शरीर एवं वस्तु की ऊर्जा स्कैनिंग की जाती है। धनात्मक एवं ऋणात्मक ऊर्जाओं को विभिन्न रंगों के माध्यम से कंप्यूटर पर देखा जाता है । ईथरिक शरीर में उर्जा अवरोध से उत्पन्न तनाव से होने वाली बीमारी का पता विभिन्न ऊर्जा चित्रों के माध्यम से किया जाता है।
कैसे होती है एनर्जी स्कैनिंग?
एनर्जी स्कैनिंग हेतु डार्क रूम में विशेष आवृत्ति के सफेद प्रकाश की किरणे शरीर पर डालकर व डिजिटल फोटोग्राफी द्वारा विभिन्न कोणों से ऊर्जा स्कैनिंग की जाती है। ऊर्जा का पैटर्न, बीमारी का स्थान व स्थिति कंप्यूटर स्क्रीन पर विभिन्न रंगों के विश्लेषण से देखी जाती है।
शरीर में ऊर्जा संचालन
शरीर में 12 मुख्य व दो प्रमुख मेरेडियम होती है, जिनके द्वारा पूरे शरीर में ऊर्जा प्रवाहित होती है, जिसके कारण हम देख, बोल, चल सकते हैं। शरीर से यह ऊर्जा निकल जाए तो यह शरीर बेजान हो जाता है। प्रत्येक जीवित शरीर में अंदर वह बाहर प्राणशक्ति का प्रकाश प्रवाहित होता है जिसे ईथरिक या बायो प्लाज़्मीक शक्ति कहते हैं। अगर इन मेरेडियम में उर्जा प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। तो इससे उत्पन्न होने वाला तनाव शरीर पर दर्द या बीमारी के रूप में उभरता है। बायोफीडबैक एनर्जी टेस्टिंग यूनिट द्वारा टिंग बिंदुओं पर शरीर के मेरिडियन में प्रभावित हो रही ऊर्जा को मापा जाता है।
स्टिमुलेटर द्वारा मेरिडियन में एनर्जी ब्लॉकेज हटाकर ऊर्जा प्रवाह सुचारू किया जाता है। ईथरिक शरीर में विभिन्न उर्जा के संतुलन हेतु जरूरी ऑयल, जड़ी बूटियां, खनिज मिनरल एवं विशेष रंग की आवृत्ति प्रेषित की जाती है।
बीमारियों में लाभ
ऊर्जा स्कैनिंग एवं एकमोज़ चिकित्सा पद्धति द्वारा नीचे दर्शायी बीमारियों में लाभ मिलता है।
दर्द निवारण – स्पिनेडोलिटिस, पीठ का दर्द, घुटना दर्द, गर्दन में दर्द, कंधा दर्द, टेनिस एल्बो, साइटिका माइग्रेन, माहवारी में दर्द व अन्य दर्द ।
नाक कान गले के रोग – नाक से रक्त प्रवाह टांसिल।
ह्रदय रोग – एंजाइना, हाई ब्लड प्रेशर ।
पेट के रोग – कब्जियत, उल्टी दस्त, एसिडिटी, कमजोर लीवर, पेट दर्द।
अन्य समस्याएं – त्वचा रोग, अस्थमा, मूत्राशय संबंधित रोग, अधिक पसीना आना, बेहोश होना, नींद ना आना, बुखार आदि।
गर्भधारण से पूर्व ऊर्जा संतुलन
प्रदूषण व घर के विद्युत ऊर्जा क्षेत्र के कारण असंतुलित पर्यावरण से बीमारियों को आमंत्रण मिलता है। इसका प्रभाव रहवासियों की उर्जा असंतुलित के रूप में दृष्टिगोचर होता है । गर्भवती होने से पूर्व महिला के शरीर की असंतुलित ऊर्जा होने वाले बच्चे में शारीरिक दोष उत्पन्न करती है । उदाहरण के लिए यदि महिला के ह्रदय की मेरेडियन में अवरोध है तो प्रजनन के बाद बच्चे में भी ह्रदय से संबंधित रोग उत्पन्न होंगे । अतः गर्भवती होने से पूर्व महिला की स्वस्थ बच्चे हेतु उर्जा संतुलित होना आवश्यक है।
कुछ अनुभव
कोयंबटूर के एक बड़े अस्पताल में एक युवक का इलाज पिछले 3 माह से चल रहा था। वह कार दुर्घटना का शिकार हुआ था और उसके शरीर में मूवमेंट नहीं थे। वह कोमा में चला गया था, संस्थान ने ऊर्जा स्कैनिंग द्वारा ऊर्जा पैटर्न का पता लगाया तथा शरीर के जिन अवयवों में उर्जा प्रवाह दुर्घटना के कारण रुक गया था। उसे इस नई तकनीक द्वारा पुनः सुचारु किया गया संबंधित उपचार द्वारा आए सुधार से अस्पताल के डॉक्टर अचंभित हैं।
इंदौर की एक महिला की टेनिस एल्बो की समस्या का निवारण एक माह में किया गया।
दिल्ली के एक उद्योगपति के घुटनों में आर्थराइटिस की समस्या का निवारण 2 माह में किया गया ।
एनर्जी स्कैनिंग पद्धति के लाभ
शरीर की जीवनी शक्ति ऊर्जा का स्तर पहचाना जा सकता है।
शरीर के 7 चक्र ग्रंथियों की ऊर्जा ग्रहण की स्थिति जानी जा सकती है।
रोग ग्रस्त अंगों की पहचान की जाती है।
अंग विशेष में उर्जा लीकेज देखा जा सकता है।
तनावपूर्ण अंगों को देखा जा सकता है।
किसी भी उपचार का लाभदायक या हानिकारक प्रभाव देखना संभव।
शरीर में आने वाली बीमारियों की जानकारी लगभग 4 वर्ष पूर्व तक मानी जा सकती है।
कैंसर जैसे रोगों की जानकारी शरीर में प्रवेश होने से पूर्व प्राप्त कर पूर्ण निरोग होना संभव।
शारीरिक दर्द संबंधी बीमारियों का बीना दवाई दिए पूर्ण निवारण किया जाता है।
घर दुकान फैक्ट्री के वास्तु दोष को देखना एवं उपचार के बाद हुआ परिवर्तन देखना संभव।
अपने घर की हर सजीव निर्जीव वस्तुओं की ऊर्जा एवं शक्ति की पहचान की जा शक्ति है।
रत्न क्रिस्टल यंत्र मंत्र तांत्रिक आध्यात्मिक वस्तुएं जल भोजन पेड़ पौधे दवाएं आदि का प्रभाव विदित किया जा सकता है।
वास्तु विज्ञान में एनर्जी स्कैनिंग की महत्वपूर्ण भूमिका
वास्तु विज्ञान उर्जा का विज्ञान है। हम जो भी निर्माण करते हैं उसमें एक सामूहिक ऊर्जा निर्मित होती है। जो उस घर में रहने वालों पर प्रवाह डालती है।अगर यही ऊर्जा वास्तु दोषों के कारण ऋणत्मक हो तो घर में रहने वालों पर तनाव वह बीमारी के रूप में उभरती है। एनर्जी स्कैनिंग डिवाइस द्वारा घर, कार्यस्थल, फैक्ट्री, गोडाउन, दुकान इत्यादि की ऊर्जा देख पाना संभव हुआ है। आप जिस बिस्तर पर आप 8 घंटे व्यतीत करते हैं वह ऊर्जावान है तो आप उर्जा से परिपूर्ण होंगे। इस प्रकार कार्यालय की वह कुर्सी जिस पर आप नियमित बैठते हैं वह यदि ऋणत्मक उर्जा दे रही है, तो आप हमेशा तनाव ग्रसित रहेंगे। भवन में वास्तु दोषों के कारण उत्पन्न ऋणत्मक उर्जा को भवन में तोड़फोड़ किए बिना, विभिन्न रंगों,रिफ्लेक्टर, उर्जा शिल्डिंग यंत्र, एसेंशियल ऑयल, मिनरल्स हर्ब, सिंबल आदि द्वारा धनात्मक लाभप्रद किया जा सकता है।